KUMARWRITES
"दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?"
— यह शेर दिल के मासूम सवाल और मोहब्बत की उलझन को बयान करता है।
रवींद्रनाथ ठाकूर (रवींद्रनाथ ठाकोर), ज्यांना गुरुदेव म्हणूनही ओळखले जाते, हे भारतीय साहित्य, कला आणि शिक्षण क्षेत्रातील एक महान व्यक्तिमत्त्व होते. ते ७ मे १८६१ रोजी कोलकात्यात जन्मले आणि ७ ऑगस्ट १९४१ रोजी त्याच शहरात निधन झाले.
गुलज़ार साहब एक प्रमुख भारतीय कवि, गीतकार, और फ़िल्म निर्देशक हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1936 को पाकिस्तान के डेरा गाज़ी ख़ान में हुआ था। गुलज़ार साहब अपनी अद्वितीय लेखनी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कई यादगार गाने लिखे हैं और कई फ़िल्मों का निर्देशन भी किया है। उनकी कविताओं और गीतों में अक्सर प्यार, दुख और जीवन की जटिलताओं की भावनात्मक छवियाँ होती हैं। गुलज़ार की शायरी (Hindi shayri by Gulzar) लोगों में लोकप्रिय हैं, जो अलग-अलग भावनाओं पर लिखी गई हैं। इसलिए इस ब्लॉग में गुलज़ार की शायरी दी गई हैं।

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गुलज़ार
"धूप में निकलो, घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटाकर देखो।"
बशीर बद्र
"ज़िंदगी तूने मुझे कब्र से कम दी है ज़मीं,
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है।"
जौन एलिया
"जो गुज़ारी न जा सकी हम से,
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है।"

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मिर्ज़ा ग़ालिबमिर्ज़ा
"बहुत नज़दीक आती जा रही हो,
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।
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